एक सुबह की तलाश
हर बेचैन सी होती रात
यूँ करवटों मे जाती थी
हर उन बीतते पल मे
एक सुबह की तलाश थी
अनजाने सी उन राहों में
ठोकरें जो अडिग तैनात थी
उन से लड़ते भिड़ते संभलते
एक सुबह की तलाश थी
काली घनघोर "चोर" रातों में
गूँजते सन्नाटो की चुप्पी थी
उन खामोशी के शोर में
एक सुबह की तलाश थी
आज की जीत के जय को
कल जो पराजय की फांस थी
कल की धुंध के बिच फिर
एक सुबह की तलाश थी
यूँ करवटों मे जाती थी
हर उन बीतते पल मे
एक सुबह की तलाश थी
अनजाने सी उन राहों में
ठोकरें जो अडिग तैनात थी
उन से लड़ते भिड़ते संभलते
एक सुबह की तलाश थी
काली घनघोर "चोर" रातों में
गूँजते सन्नाटो की चुप्पी थी
उन खामोशी के शोर में
एक सुबह की तलाश थी
आज की जीत के जय को
कल जो पराजय की फांस थी
कल की धुंध के बिच फिर
एक सुबह की तलाश थी
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