Skip to main content

Posts

Featured

एक शाम की कहानी

 वो सुरज की मद्धम होती आंच सब के साथ,वो नवोदित प्रकाश कंडे की वो सुलगती सी खुशबू तेल की कड़वाहट मे घूलती मिठास माँ  का वो ममतामयी स्पर्श उस नन्हे बेजुबान की तुतली जुबानी सुनो मुझसे एक शाम की कहानी वो ढलती हुई शाम, वो गोधुली बेला धुल की परतों मे छिपता वो "बाल"पन  एक नटखट का वो रूदन वो क्रनदन  उस "बाल " के सहमे से घर आना एक ओर माँ तो कहीँ  दादी -नानी उस बढ़ते  बचपन के गढ़ती जुबानी सुनो मुझसे एक शाम की कहानी फिर जो आया वो विद्या , एक आलय पल मे बीतता वो विद्यालय साल दर साल वो बनते बुनते सपने एक से दो और दो से चार का मान  वो ज्ञान वो गणित,विज्ञान का सम्मान सबको सहेजे समेटे वो जीवन्त प्रस्थान उस "बाल" से नव किशोर की ज़ुबानी  सुनो मुझसे एक शाम की कहानी फिर आया जो जीवन विशाल सब सीखों को यूँ ही सम्भाल फिर हर राह की वो आपा-धापी कभी आगे तो फिर पीछे की सवारी सीख चुके सब,अब अमल की तैयारी काँधे से कांधा मिला, वो दैनिक लाचारी आपस मे मिल एक होते हमराहों की ज़ुबानी  सुनो मुझसे एक शाम की कहानी बीत गया सब अब आ गया "काल" जो चार से दो फिर दो से एक  होते चले गये सब वो &quo

Latest posts

ना कृष्ण सुदामा की ना ही मीरा मोहन की ना किसी भक्त की और ना ही भगवान की बात हर मीत की और हर उस मितान की जो कारक ही तो है ' हर मुस्कान ' की....

हम खाक से भी अंगारे जला लेते हैं कुछ खाब बुझे दिये भी जला देते हैं

हम भिड़ मे भी अलग से होते हैं वही मुट्ठी भर तो दोस्त होते हैं दोस्तों मे चांद तारों की क्या बिसात हम तो उनको भी बातों मे रखते हैं तु एक अवाज़ तो लागा के देख मुसीबत को भी ताक मे रखते है

उस लज़्ज़त को भी चख लेंगे तेरे हर गुनाह माफ भी कर देंगे कभी हमारी संगत को भी आज़मा तेरे हर गम को यूँ ही फना कर देंगे

बातों बातों मे बात छुपा रहे हो यूँ लिख लिख कर मिटा रहे हो वो बातों की बात अब बता भी दो अपनो मे फिक्र को लुटा ही दो जो कुछ हो सका हम करे ही लेंगे नही तो मन भर साथ हंस ही लेंगे