एक किताब मिली

आज एक पुरानी सी किताब मिली
पन्नो मे दबी कुछ धुंधली याद मिली
कुछ सुखे सुखे से पत्तों के साथ साथ
एक छुपी मुरझाई सी कली मिली
पीछे और चार पन्नो से ज्यों ही मिला
एक चुप सी हंसी की आवाज़ मिली
फिर कुछ यादें सहसा प्रत्यक्ष हुईं के
तो कुछ परोक्ष होकर फिर मिली
कुछ पटाखों की फिर गूंज सुनी
तो कुछ नादान आतिशबाज़ी मिली
वो एक सूचना पट जो याद आया
जहाँ मुस्कुराती हूइ धड़कन मिली
आज एक पुरानी किताब मिली
आज एक पुरानी सी किताब मिली
पन्नो मे दबी कुछ धुंधली याद मिली

आज एक पुरानी सी किताब मिली
पन्नो मे दबी कुछ धुंधली याद मिली
जो और आगे गये या फिर कहुँ पीछे
तो  गलियारे मे खुली खिडकी मिली
जो झांक लिया यूएस खुले झरोखे से
लिखते पढ़ते यारों की  जमात मिली
कुछ हँसते खिलखिलाते चेहरों मे
अपने अपनो की नादानी फिर मिली
कोशिश करी उन्हे बढ़ के थामने की
मानो वो बंद मुट्ठी की रेत सी छुट चली
समेट कर  उन सभी धूमिल यादों को
किताब बंद करते...  वही हंसी मिली
आज एक पुरानी सी किताब मिली
पन्नो मे दबी कुछ धुंधली याद मिली

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