हम भिड़ मे भी अलग से होते हैं वही मुट्ठी भर तो दोस्त होते हैं दोस्तों मे चांद तारों की क्या बिसात हम तो उनको भी बातों मे रखते हैं तु एक अवाज़ तो लागा के देख मुसीबत को भी ताक मे रखते है

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